Vitamin  in hind

 Vitamin in hind-विटामिन के प्रकार और उनके स्रोत


 Vitamin in Hindi विटामिन स्वस्थ रहने के लिए हमको भोजन में विटामिनो को भरपूर मात्रा में शामिल करना चाहिए, विटामिन Vitamin ऐसे कार्बनिक यौगिक होते हैं। जो हमारे शरीर को स्वस्थ बनाने के लिए बहुत ही आवश्यक होते हैं। 

विटामिनों vitamins से कोई कैलोरी प्राप्त नहीं होती, परंतु यह शरीर के उपापचय metabolism मैं रासायनिक प्रतिक्रियाओं के नियमों के लिए अत्यंत आवश्यक होते हैं इनको रक्षात्मक पदार्थ भी कहा जाता है। विटामिन दो प्रकार के होते हैं, जल में घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन B और विटामिन C, वसा या कार्बनिक घोलकों में घुलनशील विटामिन जैसे विटामिन A, विटामिन D, विटामिन E आदि।
 
विटामिन Vitamin हमको विभिन्न प्रकार के फल, सब्जी, दालें इत्यादि उसे प्राप्त होते हैं। हमारा शरीर अपने आप  विटामिन Vitamin का निर्माण नहीं कर सकता इसकी कमी हमको भोजन से पूरी करनी होती है इसलिए हमको अपने भोजन में विटामिन युक्त खाद्य पदार्थों को शामिल करना चाहिए
 विटामिन क्या है, और विटामिन कितने प्रकार के होते है एवं उनके नाम क्या है। और कौन सा विटामिन शरीर के रोगों से लड़ने में मदद करता है। ऐसे ही कुछ विटामिन के प्रकार और उनके मुख्य स्रोतों का विस्तार इस पोस्ट में दिया गया। 

Vitamin A ( रेटीनाॅल )

Vitamin A के कार्य : आंखों की निरोगीता, त्वचा और श्लेष्मिक झिल्ली की कोशिकाओं के लिए आवश्यक

कमी से प्रभाव : वृद्धि रुकना, रतौंधी व जीरोफ्थैल्मिया संक्रमणों के प्रति प्रभाव्यता, त्वचा और झिल्लियों में परिवर्तन का आना, दोषपूर्ण दांत तथा बीमारियां आदि  हो जाना

Vitamin A के मुख्य स्रोत : मछली के यकृत का तेल, यकृत, गुर्दा, फल, टमाटर, गाजर, मक्खन, अंडे की जर्दी आदि

Vitamin B1 ( थायमीन )

Vitamin B1 के  कार्य : वृद्धि,  कार्बोहाइड्रेट उपापचय नियंत्रण, हृदय, तंत्रिका और पेशियों की संक्रमण के लिए आवश्यक

Vitamin B1  के मुख्य स्रोत : बीज वाले अन्न, मांस, दूध, सोयाबीन, मुर्गी, अंकुरित अनाज, अंडा आदि

कमी का प्रभाव : वृद्धि का रुकना, भूख और वजन घटना, तंत्रिका विकास, वेरी-वेरी, थकना, बदहजमी, पेट की खराबी आदि

Vitamin B2 विटामिन ( राइबोफ्लेविन )

Vitamin B2 के कार्य : वृद्धि त्वचा और मुख की निरोगता, आंखों की सक्रियता

Vitamin B2 के मुख्य स्रोत : मांस, सोयाबीन, दूध, हरी तरकारियां , अंडे आदि 

कमी के प्रभाव : वृद्धि का रुकना, धुँधली दृष्टि का होना, जीभ पर छाले पड़ जाना, असमय में बुढ़ापा आना, प्रकाश का सहन ना हो पाना आदि।

Vitamin B3 ( पैन्टोथेनिक एसिड )

Vitamin B3 के कार्य : कोएन्जाइम A तथा ऐसीटाइलको लीन के संश्लेषण के लिए आवश्यक

Vitamin B3 के मुख्य स्रोत : मांस, जिगर, गुर्दा, दूध, अंडे, यीस्ट आदि से प्राप्त होता है

कमी के कारण : पेशियों में लकवा, पैरों में जलन महसूस होना आदि लक्षण पाए जाते हैं

 Vitamin B5  ( नियासिन निकोटिनिक अम्ल )

Vitamin B5 के कार्य : वृद्धि, कार्बोहाइड्रेट उपापचय, आमाशय और आंतों की सक्रियता, तंत्रिका तंत्र की सक्रियता के लिए

Vitamin B5 के मुख्य स्रोत :  मांस, मूंगफली का मक्खन, आलू, साबुत अनाज, टमाटर, पत्ते वाली तरकारियां आदि

कमी से प्रभाव : जीभ का चिकनापन, त्वचा पर फोड़े फुंसी का होना, पाचन क्रिया में गड़बड़ी होना, मानसिक विकारों (पेलाग्रा) का होना, रुधिर की कमी का होना आदि

Vitamin B6 ( पाइरीडाॅक्सिन )

Vitamin V6 के कार्य : अमीनो अम्ल का उपापचय 

Vitamin V6 के मुख्य स्रोत :  यकृत, मांस, अनाज आदि

कमी का प्रभाव : त्वचा रोग होना, मस्तिष्क का ठीक से कार्य न करना, शरीर का भार कम होना, अनीमिया होना

Vitamin B7  ( बायोटीन )

Vitamin B7 के कार्य : कार्बोहाइड्रेट उपापचय, बालों की देखभाल में सहायक होता है। 

Vitamin B7 के मुख्य स्रोत : मांस,अंडा, यकृत, गिरीदार फल, दूध आदि  

कमी के प्रभाव : लकवा, शरीर में दर्द, बालों का गिरना तथा वृद्धि में कमी आना आदि लक्षण होते हैं। 

Vitamin B9 ( फाॅलिक अम्ल )

Vitamin B9 के कार्य : रुधिर कोशिकाओं का निर्माण तथा वृद्धि करना न्यूक्लिक अम्ल के उपापचय में सहायक होना 

Vitamin B9 के मुख्य स्रोत : गिरीदार फल, हरी तरकारीयाॅ, अंडा, सेम आदि से प्राप्त होता 

कमी के प्रभाव : एनीमिया, पेचिश रोग हो जाना

Vitamin B12 ( साइनोकोबैलेमिन )

Vitamin B12 के कार्य: रूधिराणु बनाना न्यूक्लिक अम्ल के संश्लेषण के लिए नाइट्रोजन उपापचय आदि

Vitamin B12  के मुख्य स्रोत: यकृत आदि

कमी से प्रभाव: रुधिर की कमी का होना आदि

  Vitamin C ( एस्काॅर्बिक अम्ल )

  Vitamin C के कार्य: वृद्धि दातों का विकास तथा मजबूती मसूढ़ो की निरोगता घाव भरना आदि

  Vitamin C के मुख्य स्रोत: नींबू , संतरा, नारंगी, टमाटर, पत्ती वाली तरकारियां, आंवला, खट्टे पदार्थ आदि

कमी से प्रभाव: मसूड़े फूलना, अस्तियों के चारों ओर स्त्राव, जरा सी चोट पर रुधिर निकलने लगना (स्कर्वी) अस्थियां कमजोर होना  

Vitamin D ( केल्सीफेराॅल )

Vitamin D के कार्य: वृद्धि तथा अस्थियों और दातों का निर्माण

Vitamin D के मुख्य स्रोत: मछली का यकृत का तेल, संपूर्ण दूध, अंडेे, सूर्य का प्रकाश

कमी से प्रभाव:  (रिकेटस) सूखा रोग, कमजोर दांत, दांतों के रोग, दातों का सड़ना आदि

Vitamin E ( टोकोफेराॅल)

Vitamin E के कार्य : सामान्य जनन मैं सहायक

Vitamin E के मुख्य स्रोत: पत्ती वाली तरकारियां, दूध, मक्खन, अंकुरित गेहूं, वनस्पति तेल आदि

कमी से प्रभाव : जनन शक्ति का कम हो जाना

Vitamin K( फिलोक्विनोन )

Vitamin K कार्य: रुधिर के सामान्य थक्के जमनाा, यकृत की सामान्य क्रियाओं के सहायक

Vitamin K मुख्य स्रोत: हरी तरकारियांं, सोयाबीन का तेल,  टमाटर, आंतों में जीवाणु भी संश्लेषण करते हैं। 

कमी से प्रभाव : रुधिर स्त्राव का होना, ऐंठन आदि।  


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