District Pithoragarh Uttarakhand India-Pithoragarh ka itihas

District Pithoragarh Uttarakhand India


पिथौरागढ़ का इतिहास Pithoragarh ka itihas

District Pithoragarh Uttarakhand India : अल्मोड़ा से 115 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह समुद्र तल से 1626 मीटर की ऊंचाई पर सोर घाटी में कटोरी की आकृति में बसा है। इसे छोटा कश्मीर भी कहा जाता है।

 पिथौरागढ़ Pithoragarh को अल्मोड़ा के भारत तिब्बत नेपाल बॉर्डर वाले काप्ती खंड को अलग करके 24 फरवरी 1960 को जिले के रूप में स्थापित किया गया था। पिथौरागढ़ का प्राचीन नाम सोर था। सोर शब्द का उल्लेख राजा आनंदमल के बास्ते रई अभिलेख में मिलता है।
 
पिथौरागढ़ Pithoragarh नगर के समीप चण्डाक का मंदिर स्थित है। यहां एक पुराना किला है, जिसका निर्माण गोरखाओ द्वारा किया गया जिसे सिंबल गढ़ कहा जाता था। लेकिन अंग्रेजों शासनकाल में  बाद में इसका नाम बदल कर लंदन फोर्ट कर दिया गया था। यहां का नया बाजार वह चौड़ी-चौड़ी सड़कें दार्शनिक है। पिथौरागढ़ जिले से चीन जाने के लिए कई दर्रे हैं। यहां वर्ष भर लगभग एक जैसा मौसम रहता है। जनपद पिथौरागढ़ में ब्लॉकों की संख्या 8 वह तहसीलों की संख्या 12 है। 

मुख्यालय ➡ पिथौरागढ़ Pithoragarh

क्षेत्रफल  ➡ 7090 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या  ➡ 483440  पुरुष  ➡ 239306  महिला  ➡ 244133

साक्षरता दर ➡ 82.25%

पिथौरागढ़ की तहसीलें  ➡ पिथौरागढ़, मुनस्यारी, धारचूला, डीडीहाट, गंगोलीहाट, गणाई गंगोली, बेरीनाग, बंगापानी, देवलथल, कनालीछिना, थल, तेजम 

पिथौरागढ़ के  विकासखंड  ➡ विण, मूनाकोर्ट, कनालीछीना, बेरीनाग, गंगोलीहाट, डीडीहाट, मुनस्यारी, धारचूला 

विधानसभा क्षेत्र ➡ धारचूला, डीडीहाट, पिथौरागढ़ और गंगोलीहाट

 Tourist place in district Pithoragarh पिथौरागढ़ के दार्शनिक स्थल

मुनस्यारी

पिथौरागढ़ से 165 किलोमीटर की दूरी पर उत्तर दिशा में स्थित मुंसियरी जोहार क्षेत्र का प्रवेश द्वार कहलाता है। मुंसारी का पुराना नाम तिकसेन था। इस स्थान पर मुनियों का सेरा अर्थात मुनियों का ताप स्थल होने के कारण इस स्थान का नाम मुनस्यारी पड़ा इसको हिननगरी नाम से भी जाना जाता है। मुंसियार ऊनी वस्तुएं शाल, कालीन, पंखी, पशमीना दुशाले आदि के लिए प्रसिद्ध है। 

मिलम ग्लेशियर

पिथौरागढ़ Pithoragarh से लगभग 208 किलोमीटर दूरी पर मुनस्यारी तहसील में स्थित 16 किलोमीटर लंबा यह ग्लेशियल कुमाऊ का सबसे बड़ा ग्लेशियर है। यहां जाने पर सरकारी प्रतिबंध होने के कारण परगना अधिकारी से प्रवेश पत्र लेना आवश्यक होता है। इसके मार्ग पर भोज पत्रों के घने जंगल जड़ी बूटियाॅ व कस्तूरी मृग देखने को मिलते हैं। 

ओम पर्वत 

समुद्र तल से 6191 मीटर की ऊंचाई पर स्थित ओम पर्वत को आदि कैलाश य छोटा  कैलाश भी कहा जाता है। ओम पर्वत पिथौरागढ़ से उत्तर में तिब्बत के सीमा पर स्थित है। यहां जाने के लिए 14 किलोमीटर की पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यहां पर पार्वती ताल भी स्थित है।
 

गंगोलीहाट 

गंगोलीहाट मां काली मंदिर के लिए प्रसिद्ध है। यहां शंकराचार्य द्वारा सिद्ध पीठ की स्थापना की गई थी, गंगोलीहाट  नगर को ललितशूर देव के पुत्र राजा सूजान देव ने बसाया था। मानस खंड में इस क्षेत्र को शैल देश कहा गया है। इस स्थान पर प्राचीन जमणकोट और मणिकोट का किला स्थित है। गंगोली हाट से कुछ ही दूरी पर रावल गांव में जान्हवी नौला गुप्त गंगा के नाम से प्रसिद्ध है। 

पाताल भुवनेश्वर

गंगोलीहाट के निकट पाताल भुवनेश्वर मंदिर एक गुफा के भीतर स्थित है। इस मंदिर में सूर्य, विष्णु, उमा-महेश, महिषासुरमर्दिनी आदि की कई प्राचीन उत्कृष्ट मूर्तियां स्थित है। इस गुफा के विभिन्न द्वार हैं, जिसमें से नृसिंह, शेषनाग, रानी, धर्म व मोक्ष द्वार प्रमुख द्वारों में से हैं। ऐसी मान्यता है, कि 33 करोड़ देवी देवता जिस स्थान पर निवास करते हैं। यह एक आश्चर्यजनक स्थान है यहां पाताल गंगा नदी है। 

हाटकलिंगा मंदिर 

गंगोलीहाट में स्थित यहां मंदिरआदि गुरु शंकराचार्य द्वारा स्थापित सिद्ध पीठ है। यह महिषासुरमर्दिनी का सिद्ध पीठ है। यह मंदिर आपने रहस्यों के कारण प्रसिद्ध है। इस मंदिर में स्थित कुंड नवरात्र के अवसर पर हजारों बकरों की बलि देने पर भी नहीं भरता है। 

नारायण आश्रम

समुद्र तल से 2734 मीटर की ऊंचाई पर पिथौरागढ़ से 129 किलोमीटर दूरी पर धारचूला तहसील में सोसा नामक गांव के ऊपर स्थित है। इस आश्रम का निर्माण नारायण स्वामी द्वारा 1936 में कराया गया था, नारायण स्वामी को लोग मौनी बाबा नाम से भी जानते थे। अब यह आश्रम आध्यात्मिक सामाजिक शिक्षा का केंद्र बना हुआ है। 

अस्कोट 

पिथौरागढ़ Pithoragarh से 54 किलोमीटर की दूरी पर स्थित अस्कोट कत्यूरी राजाओं की राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। यहां पुराने राजाओं के किले अभी भी मौजूद है। सर्वाधिक कस्तूरी मृग वाला   अस्कोट अभ्यारण 1986 में स्थापित किया गया।  

 छिपलाकेदार

समुद्र तल से 15 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। छिपला केदार का महत्व हरिद्वार के समान है। केदारनाथ की पूजा करने के लिए यहां के लोग जात के रूप में छिपला केदार की यात्रा करते हैं। 

धारचूला

पिथौरागढ़ से 96 किलोमीटर की दूरी पर स्थित धारचूला भारत नेपाल सीमा पर काली नदी के तट पर बसा हुआ है। इस स्थान से कैलाश मानसरोवर, छोटा कैलाश तथा नारायण आश्रम के लिए मार्ग जाता है। यहां ऊनी कालीन तथा लोई आदि के लिए प्रसिद्ध है।   

पिथौरागढ़ जिले District Pithoragarh  के प्रमुख मेले 

1. जौलजीबी का मेला  2.  कांडाली उत्सव  3. धन लेख का मेला  4. नंदा उत्सव  5. गंगोलीहाट का मेला  6. गबला देव मेला  7. थल मेला  8. मलयनाथ का मेला  9. रामेश्वर का उत्तरायणी मेला  10. पाताल भुवनेश्वर मेला  11. कमलेश्वर मेला  12. बेरीनाग मेला  13. झुलाघाट मेला  14. धारचूला का मेला  15. डीडीहाट का मेला  16.  हिलजात्रा मेला  17. छलिया महोत्सव मेला 

पिथौरागढ़ District Pithoragarh  के प्रमुख बुग्याल

1. पिंडारी बुग्याल  2. नामिक बुग्याल  3. जोहार बुग्याल  4. छिपला कोट बुग्याल  5. रहाली बुग्याल  6.  थाला बुग्याल  7. दारमा बुग्याल  8.  बरम बुग्याल  9. धनिया बुग्याल

District Pithoragarh के प्रमुख दर्रे 

1. दारमा दर्रा  2. नवीधूरा दर्रा  3. लेबि दर्रा  4. ऊंट जयंती दर्रा  5. लिपुलेख दर्रा  6. ट्रेल पास दर्रा  7. लासापा दर्रा  8. सिनला दर्रा  9. बाराहोती दर्रा  10. नामा दर्रा  11. खदिया दर्रा  12. मार्चयोक दर्रा  13. टोपी डूंगा दर्रा

District Pithoragarh  के प्रमुख ग्लेशियर

1. मिलम ग्लेशियर  2. नामिक ग्लेशियर  3. रालम ग्लेशियर  4. काला पानी ग्लेशियर  5. पोंटिंग ग्लेशियर  6. हीरामणि ग्लेशियर  7. सोना ग्लेशियर  8. पिनौरा ग्लेशियर  9. कालबलन्दा ग्लेशियर 

District Pithoragarh  की प्रमुख परियोजनाएं 

1. गोरी नदी परियोजना   2.  पूर्व रामगंगा नदी परियोजना  3. पैनगाड़ परियोजना  4.  धौली गंगा जल विद्युत परियोजना  5. तांकुल परियोजना   6. सुरनीगाड़ परियोजना  7. कूला परियोजना  8.  गरबा तवाघाट परियोजना  9. तालेश्वर परियोजना  10.  ऐलागाड़  परियोजना