District Almora uttarakhand-tourist place in Almora
अल्मोड़ा का इतिहास almora ka itihas
District Almora uttarakhand : समुद्र तल से 1750 मीटर की ऊंचाई पर बसा अल्मोड़ा Almora कोसी और सुयाल नदी के मध्य स्थित है। अल्मोड़ा का प्राचीन नाम राम क्षेत्र था।
अल्मोड़ा जिले District Almora की स्थापना 1892 मैं हुई थी। 1891 तक इसे कुमाऊं जिले के नाम से जाना जाता था। अल्मोड़ा नगर के मध्य स्थित खगमारा किले का निर्माण कत्यूरियों द्वारा किया गया था। इतिहासकार मानते हैं, कि चंद्र वंश के 43वें राजा भीष्म चंद ने अल्मोड़ा को 1530 में बसाया था। और 1563 में अपने राज्य की राजधानी को चंपावत से अल्मोड़ा स्थानांतरित किया था।
1864 में अल्मोड़ा में नगर पालिका का गठन हुआ। 1914 में अल्मोड़ा से कॉल इंदर राजा शिवदत्त, शिवपालित, हरिदत्त एवं शिव रक्षित की मुद्राएं प्राप्त हुई थी, यह सभी ताम्र मुद्राएं थी, यह मुद्राएं अल्मोड़ा मुद्राएं नाम से प्रसिद्ध है, इन मुद्राओं में नारी, मृग, स्वास्तिक, चक्र, नाग, छत्र युक्त 6 पर्वत, नंदी, वृक्ष, कलश आदि के चित्र अंकित है।
अल्मोड़ा जेल की स्थापना 1822-23 में हुई थी, स्वतंत्रता आंदोलन के समय पंडित जवाहरलाल नेहरू जी अल्मोड़ा जेल में कुछ दिनों तक बंद थे। इस दौरान पंडित जवाहरलाल नेहरु जी ने अपनी पुस्तक डिस्कवरी ऑफ इंडिया लिखने की शुरुआत की थी। 1968 में अल्मोड़ा के बाडी़छिना के निकट दल बैंड के पास लाखु उड्यार से मानव एवं पशुओं के प्रागैतिहासिक शैल चित्र प्राप्त हुए हैं।
मुख्यालय ⟶ अल्मोड़ा Almora
क्षेत्रफल ⟶ 3144 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या ⟶ 622506 पुरुष 291081 महिला 331425
साक्षरता दर ⟶ 80.47%
अल्मोड़ा जिले की तहसीलें ⟶ अल्मोड़ा, रानीखेत, भिकियासेन, साल्ट, धौलछीना, चौखुटिया, सोमेश्वर, द्वाराहाट, भनौली, जौंती, स्याल्दे
उप तहसीलें ⟶ लमगड़ा, जालली, बग्याली पोखर, ध्याडी़, मछोड़
अल्मोड़ा जिले के विकासखंड ⟶ ताडी़खेत, चौखुटिया, ताकुला, सल्ट, भिकियासैन, लमगडा़, हवालबाग, द्वाराहाट, स्याल्दे, धौलादेवी, धौलछिना
विधानसभा सीटें ⟶ द्वाराहाट, सल्ट, रानीखेत, अल्मोड़ा, जागेश्वर, सोमेश्वर
Almora pin code ⟶ 263601
अल्मोड़ा जिले के प्रमुख दर्शनीय स्थल tourist place in District Almora
वीरणेश्वर मंदिर
अल्मोड़ा शहर से 26 किमी उत्तर मैं बिनसर पहाड़ी पर झंडी धार स्थल पर राजा कल्याण चंद्र द्वारा निर्मित भगवान शिव का यह मंदिर स्थित है। इस मंदिर के उत्तर में सात गधेरे हैं, जिन्हें सतखोल कहा जाता है। यहां से पूरा अल्मोड़ा शहर और हिमालय की कई चोटियां व सूर्यास्त का मनोरम दृश्य दिखाई देता है। चीतल मंदिर, कसार देवी मंदिर, नंदा देवी मंदिर, गोल्ल मंदिर, ब्राइट एंड कार्नर, डियर पार्क, रामकृष्ण मिशन आदि यहां के प्रसिद्ध स्थलों मैं शामिल है।
रामशिला मंदिर
यह मंदिर अल्मोड़ा नगर के मध्य में स्थित है। चंद्र वंशीय राजाओं के समय यह स्थान मल्ला महल कहलाता था। इसी स्थान पर चंद्र कालीन अष्ट महल दुर्ग भी रहा था, 1588 में इस महल के मध्य में राजा रूपचंद ने रामशिला मंदिर समूह की स्थापना कराई थी।
नंदा देवी
नंदा देवी परिषद में स्थित तीन देवालय कुमाऊ की मध्यकालीन कला की उत्कृष्टता के लिए प्रसिद्ध है। कमिश्नर ट्रेल द्वारा मल्ला महल की नंदा देवी की प्रतिमाओं को पर्वतेश्वर मंदिर में रखे जाने के बाद यह नंदा देवी मंदिर कहलाया था, यहां प्रतिवर्ष भाद्रपद की अष्टमी को विशाल मेला का आयोजन होता है।
गणानाथ
अल्मोड़ा से 47 किमी दूर ताकुला के निकट गणानाथ का शिव मंदिर एक प्राकृतिक गुफा में स्थित है। यहां शिवलिंग पर प्राकृतिक रूप से जल टपकता है। इसकी चोटी पर मलिका देवी का मंदिर है। गणनाथ मठ की स्थापना चंद्र राजाओं के राजगुरु श्री वल्लभ उपाध्याय द्वारा की गई थी।
कटारमल सूर्य मंदिर
अल्मोड़ा Almora से लगभग 15 किमी की दूरी पर पश्चिम की ओर स्थित है, यह मंदिर उत्तराखंड शैली का है। जिसका निर्माण कत्यूरी राजा कटारमल ने कराया था। इस मंदिर में मुख्य प्रतिमा पर बड़ादित्य सूर्य की है। कोणार्क सूर्य मंदिर के बाद यह दूसरा सबसे बड़ा सूर्य मंदिर है। इसके अलावा शिव पार्वती, लक्ष्मी नारायण, नारसिंह ,कुबेर , आदि की भी मूर्तियां मंदिर में स्थित है। इस मंदिर का कपाट वर्तमान में राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली में रखा हुआ है, जो अपनी विशिष्ट कास्ट शिल्प कला के लिए विश्व प्रसिद्ध है। इसी मंदिर के समीप गोविंद बल्लभ पंत हिमालय पर्यावरण संस्थान भी है।
चितई मंदिर
अल्मोड़ा नगर से 12 किमी की दूरी पर स्थित इस रहस्यमयी मंदिर की बड़ी मान्यता है। यहां के गोलू देवता मनोकामना को बहुत शीघ्र पूरा करने के साथ न्याय भी शीघ्र देते हैं। इस स्थल को परपमोच्च न्यायालय माना जाता है।
सोमेश्वर
अल्मोड़ा कौसानी मार्ग पर इस मंदिर का निर्माण 700 ई० में राजा सोमचंद्र ने कराया था। विश्व मंदिर में की गई पूजा काशी विश्वनाथ में की गई पूजा के तुल्य मानी जाती है। इस मंदिर के पास एक प्राचीन नौला स्थित है। कहा जाता है, कि कभी यह नौला दूध का एक कुंड होता था, लेकिन जूठा हो जाने पर यह पानी में बदल गया।
शीतलाखेत
यह स्थान अल्मोड़ा से 35 किमी दूर रानीखेत व अल्मोड़ा Almora के मध्य में स्थित है। यहां से 4 किमी की दूरी पर प्राचीन स्याही देवी का मंदिर भी स्थित है। भारत रत्न प्राप्तकर्त पंडित गोविंद बल्लभ पंत का जन्म स्थल यहां से मात्र 3 किमी दूरी पर स्थित खूंट ग्राम है। यहां अनेक प्रकार के फलों के बाग मिलते हैं।
जालना
जालना अल्मोड़ा से 35 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां पर विविध प्रकार के फलों जैसे खुबानी, सेब, नाशपाती, आलू बुखारा जैसे फलों का बहुत अधिक मात्रा में उत्पादन होता है जालना से हिमालय के विशाल मनोरम दृश्यों को का आनंद लिया जा सकता है।
जागेश्वर मंदिर समूह
अल्मोड़ा से 35 किमी की दूरी पर जटा गंगा के किनारे 124 छोटे बड़े मंदिरों का समूह जिनमें 25 अभी भी ठीक अवस्था में स्थित है। यह राज्य का सबसे बड़ा मंदिर समूह है। 8वीं से 10वीं सदी के मध्य में निर्मित इन कलात्मक मंदिरों का निर्माण कत्यूरी राजा शालिवाहन देव ने कराया था। इसे उत्तराखंड का पांचवा धाम कहा जाता है। हिंदुओं का यह पवित्र धार्मिक स्थल देवदार के वृक्षों के बीच संकरी घाटी में स्थित है। यहां के सभी मंदिर केदारनाथ शैली में निर्मित है। यहां से कुछ ही दूरी पर उत्तर में प्राचीन वृद्ध जागेश्वर मंदिर स्थित है।
द्वाराहाट मंदिर समूह
अल्मोड़ा Almora से 138 किमी की दूरी पर स्थित द्वाराहाट हिमालय की द्वारिका के नाम से जानी जाती है। यह कत्यूरी राजाओं के कला प्रेमी एवं धर्म निष्ठा का प्रतीक है। कत्यूरी राजाओं ने 11वीं 12वीं सदी में यहां 30 मंदिरों एवं 365 बावडियों का निर्माण करवाया था।
इस मंदिर समूह में सबसे बड़ा उत्कृष्ट देवालय गूजर देव का मंदिर है। अन्य मंदिरों में भगवान बद्रीनाथ और केदारनाथ के मंदिर प्रमुख है। मंदिर के तीन समूह कचहरी, मनिया और रतन देव के नाम से प्रसिद्ध है।
विभाणडेशवर
द्वाराहाट से लगभग 5 किमी दक्षिण की ओर स्थित विभाणडेशवर मंदिर को स्थानीय लोग उत्तर का काशी मानते हैं।विषुवत सक्रांति के अवसर पर यहां स्याल्दे बिखौती का प्रसिद्ध मेला लगता है।
दूनागिरी
द्वाराहाट से 14 किमी की दूरी पर दूनागिरी का मंदिर है पुराणों के अनुसार दूनागिरी द्रोणाचल पर्वत है। यह मंदिर वैष्णवी शक्ति पीठ है। इस मंदिर की स्थापना सन 1183 में हुई थी।
रानीखेत
यह समुद्र तल से 6000 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। झूलादेव पर्वत श्रृंखला पर पर्यटकों की नगरी नाम से प्रसिद्ध रानीखेत अल्मोड़ा से लगभग 50 किमी दूर स्थित है। रानीखेत का प्राचीन नाम झूलादेव था। 27 अक्टूबर 1945 को कुमाऊं रेजिमेंट का मुख्यालय रानीखेत में स्थापित किया गया।
शांत एवं सुंदर प्रकृति का यह छावनी नगर अपनी स्वास्थ्यवर्धक जलवायु एवं मनोहर हिमालयी दृश्यों एवं चीड़ बांज के हरे भरे क्षेत्रों के लिए प्रसिद्ध है। यहां नीचे गगास नदी बहती है। और पास ही नागदेव ताल भी स्थित है।
कहा जाता है, कि चंद राजा की रानी जियारानी इधर से जा रही थी। उन्हें यह स्थान अच्छा लगा और वह कुछ दिनों तक यहां रुकी जहां पर वह रुकी थी, वहां पर खेत था बाद में वह खेत रानीखेत नाम से प्रसिद्ध हो गया था। आधुनिक रानीखेत की स्थापन अंग्रेजों द्वारा 1869 मैं की गई थी।
चौबटिया
चौबटिया रानीखेत से 10 किमी की दूरी पर स्थित है। यहां फल संरक्षण एवं शोध केंद्र और सरकारी सेब बगानों के लिए प्रसिद्ध है। यहां से हिमालय का सुंदर दृश्य दिखाई देता है।
झूला देवी मंदिर राम मंदिर
रानीखेत से 7 किमी की दूरी पर चौबटिया मार्ग पर स्थित है। यह स्थान दुर्गा देवी तथा भगवान राम के मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है।
ताड़ीखेत
ताड़ीखेत रानीखेत से 8 किमी दूर स्थित है। 1920 में यहां पर गांधी जी यात्रा पर आए थे। इस स्थान पर गांधी कुटीर स्थित है। यहां स्थान गोलू देवता के मंदिर के लिए प्रसिद्ध है।
अल्मोड़ा जिले District Almora के प्रमुख मेले
- अल्मोड़ा का नंदा देवी मेला
- जागेश्वर का श्रावणी मेला
- सोमनाथ मेला
- नैथला का मेला
- देघाट का मेला
- अग्नेरी श्री का मेला
- दूनागिरी का मेला
- सैण की शिवराज मेला
- मानिला का मेला
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