Uttarkashi

Uttarkashi-uttarkashi district-tourist place in uttarkashi-उत्तरकाशी जिले की vidhut pariyojna

उत्तरकाशी Uttarkashi भागीरथी नदी की दाएं ओर स्थित उत्तर का काशी के उपनाम से प्रसिद्ध है।  उत्तरकाशी Uttarkashi का प्राचीन नाम सौम्यकाशीबाड़ाहाट था। 
 
बाड़ाहाट नामकरण के संबंध में कहा जाता है। कि सीमावर्ती 12 गांव के लोग इस क्षेत्र में क्रय विक्रय का कार्य करते थे। जिससे इसको बारह हाट कहा जाता था।  यह आगे चलकर यह बाड़ाहाट नाम से प्रसिद्ध हुआ। 1903 की भयंकर भूकंप में बाड़ाहाट नगर के क्षतिग्रस्त हो जाने के बाद वर्तमान उत्तरकाशी Uttarkashi नगर को वरुणावत पर्वत के पाद प्रदेश में बसाया गया था। 

 यह नगर प्राकृतिक सौंदर्यपूर्ण दृश्यों व नदियों पहाड़ों से परिपूर्ण है।  24 फरवरी 1960 को टिहरी जिले से काटकर उत्तरकाशी को अलग जिला बनाया गया।  प्रशासनिक कार्यो के कारण इस नगर का तीव्र गति से विकास हुआ। विश्वनाथ मंदिर, परशुराम मंदिर, अन्नपूर्णा मंदिर ,लक्षेश्वर मंदिर, शक्ति स्तंभ मंदिर दत्तात्रेय जड़ भरत मंदिर आदि यहां के मुख्य दर्शनीय स्थल है।  विश्वनाथ मंदिर में एक 6.25 मीटर ऊंचा त्रिशूल है।  जिस के निचले भाग की मोटाई लगभग 90 सेमी है।  1857 मै विश्वनाथ मंदिर का जीर्णोद्धार सुदर्शन शाह ने कराया था। 

मुख्यालय Headquarters ⟶ उत्तरकाशी Uttarkashi

उत्तरकाशी का क्षेत्रफल Area  ⟶ 8016 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या Population  ⟶ 330090  पुरुष  ⟶ 168600 महिला  ⟶ 161490

साक्षरता literacy ⟶ 75.81% पुरुष 88.79% महिला 62.35%

तहसीलें Tehsils  6⟶ चिन्यालीसौड़ ,भटवारी, डुण्डा, बड़कोट पुरोला मोरी  

विकासखंड Block 6 ⟶ भटवाड़ी, डुण्डा, चिन्यालीसौड़, नौगांव, पुरोला, मोरी 

विधानसभा सीटें Assembly seats ⟶  गंगोत्री, पुरोला, यमुनोत्री 

Uttarkashi pin code  249193


Tourist place in Uttarkashi district 

गंगोत्री 

 गंगोत्री समुद्र तल से 3048 मीटर की ऊंचाई पर तथा  उत्तरकाशी Uttarkashi से 99 किमी उत्तर पूर्व में स्थित है।  यहां भागीरथी का एक मंदिर स्थित है।  जिसमें गंगा, लक्ष्मी ,पार्वती व अन्नपूर्णा देवी की मूर्ति स्थापित है।  कहा जाता है कि यहां राजा भगीरथ ने स्वर्ग से गंगा को पृथ्वी पर लाने के लिए कठोर तपस्या की थी।  स्वर्ग से पृथ्वी पर उतरती गंगा को इसी स्थान पर भगवान शिव ने अपनी जटाओं में बांधा था।  इस मंदिर का निर्माण 1813 ई० में गोरखा सेनापति अमर सिंह थापा ने और 20वीं सदी में नव निर्माण जयपुर के राजा माधो सिंह ने कराया था। 

 इस मंदिर के कपाट प्रतिवर्ष अप्रैल माह  में अक्षय तृतीया को खुलते हैं। इसी दिन मां गंगा की डोली उनके शीत ऋतु प्रवास मुखवा ग्राम के मार्कंडेय मंदिर से गंगोत्री के लिए रवाना होती है।  यहां के अन्य निकटतम दर्शनीय स्थलों में सूर्यकुंड, गौरीकुंड, पंतगाना, भैरव झाप स्थित है। 

गौमुख

गंगोत्री से 20 किलोमीटर पैदल मार्ग पर गौमुख हिमनद भागीरथी नदी का उद्गगम स्थल है।  यह स्थल गंगोत्री से 18 किमी की दूरी पर दक्षिण पूर्व दिशा में पैदल मार्ग पर स्थित है।  गोमुख से 6 किमी की दूरी पर नंदनवन तपोवन है। 

यमुनोत्री

उत्तरकाशी जिले में स्थिति है पवित्र स्थान गंगोत्री से ठीक पश्चिम में स्थित है।  यहां पहुंचने के लिए हनुमान चट्टी से 13 किमी की दूरी पैदल तय करनी पड़ती है।  

  यमुना के तट पर स्थित यमुनोत्री मंदिर का निर्माण 1919 गढ़वाल नरेश प्रताप शाह ने तथा पुनः निर्माण जयपुर की महारानी ने कराया था।  शीतकाल में ठंड व बर्फ गिरने के कारण यमुनोत्री के कपाट बंद हो जाते हैं।  और ग्रीष्म काल में प्रतिवर्ष वैशाख शुक्ल की तृतीया को खोले जाते हैं।  इसी दिन में यमुना की डोली खरसाली गांव से यमुनोत्री धाम पहुंचती है।  यहां वैदिक मंत्रोच्चारण के साथ मां यमुना की पुनर्स्थापना होती है।   

खरसाली  गांव के पंडित ही यमुनोत्री में पूजा अर्चना का कार्य करते हैं।  यमुनोत्री मंदिर के निकट तीन गर्म जल स्त्रोत स्थित है, जिनमें से सबसे महत्वपूर्ण सूर्यकुंड है।  इस कुंड में आलू चावल आदि डालने पर पक जाता है, जिसे लोग प्रसाद के रूप में ग्रहण करते हैं। 

 यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री मंदिर से 1 किमी दूर स्थित बंदरपूंछ पर्वत श्रृंखला है।  बंदरपुच्छ तीन शिखरों श्रीकंठ, बंदरपुच्छ एवं यमुनोत्री कांठा का एक सामूहिक नाम है।  जिसे प्राचीन काल में कालिंदी पर्वत कहा जाता था इसी कारण यमुना नदी का नाम कालिंदी भी पड़ा पौराणिक दृष्टि से कालिंदी को सूर्य की पुत्र और शनि एवं यम की बहन कहा जाता है। 

विश्वनाथ मंदिर

विश्वनाथ मंदिर उत्तरकाशी Uttarkashi से लगभग 300 मीटर की दूरी पर स्थित है।  1857 में गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह की पत्नी महारानी खनेती द्वारा मंदिर का पुनः उद्धार किया गया था।  कत्यूरी शैली में निर्मित इस मंदिर का निर्माण आदिकाल में परशुराम द्वारा  गया था। इस मंदिर का बाहरी आवेश 1910 में दौलतराम चैरिटी ट्रस्ट द्वारा बनाया गया था। 

शक्ति मंदिर

विश्वनाथ मंदिर के सामने सत्य मंदिर स्थापित है।  इस मंदिर में लगभग 6 मीटर ऊंचाई एक विशाल त्रिशूल स्थापित है। 

मनेरी

 उत्तरकाशी से 13 किलोमीटर की दूरी पर मनेरी नामक स्थल पर भागीरथी नदी पर मनेरी भारी जल विद्युत परियोजना बनाई गई है।  304 मेगा वाट की परियोजना में सुरंग द्वारा 16 किमी दूर तिलोठ में स्थित टरवाइनो को जल पहुंचाया जाता है। यह स्थल पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बना है। 

गंगानी  

मनेरी से गंगोत्री मार्ग पर लगभग 26 किमी चलने पर भागीरथी के बाएं किनारे पर गंधयुक्त गर्म जल का स्त्रोत है।  जिनमें पर्यटक स्नान करके स्फूर्ति का अनुभव करते हैं।  जल में स्नान करने से त्वचा संबंधित रोग भी ठीक होते हैं। 

हरसिल

उत्तरकाशी जिले का एक बहुत ही सुंदर स्थान है।  यह समुद्र तल से 2620 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री मार्ग पर उत्तरकाशी से 73 किमी दूर स्थित है।  यह ग्रामीण खेड़ा अपने प्राकृतिक सौंदर्य एवं स्वादिष्ट सेबो के लिए प्रसिद्ध है। 

हनुमान चट्टी

यह यमुनोत्री से 13 किमी की दूरी पर स्थित हनुमान चट्टी बहुत ही सुंदर स्थान है।  यहां से डोडी ताल का ट्रेकिंग मार्ग शुरू होता है। 

बाड़ाहाट

यहां एक प्राचीन शक्तिपीठ है।  जहां एक त्रिशूल गड़ा है।  त्रिशूल को बाराह शक्ति के रूप में देखा और जाना जाता है।  स्कंद पुराण में भी इस स्थान का वर्णन है।  प्राचीन काल में यह शहर बाराह के नाम से जाना जाता था।  कालांतर में बाराह  से बदल कर इसका नाम बाड़ाहाट हो गया। 

नचिकेता ताल

यह ताल चौरंगीखाल उत्तरकाशी Uttarkashi से 3 किमी पैदल मार्ग पर स्थित है।  नचिकेता ताल के निकट एक मंदिर स्थित है।  नचिकेता संता के पुत्र थे।  इन्हें के नाम पर इस ताल का नाम रखा गया है। 

दयारा बुग्याल 

उत्तरकाशी Uttarkashi गंगोत्री मोटर मार्ग पर भटवारी से 18 किलोमीटर की दूरी पर रैथल और बर्सु गांव के ऊपर प्रसिद्ध दयारा बुग्याल स्थित है।  यह ट्रैकिंग हेतु प्रसिद्ध है।  वर्ष 2015 का ट्रैकिंग ऑफ द ईयर घोषित किया गया है।  इस स्थान पर माखन की होली नाम से प्रसिद्ध अंडूडी मेला लगता है। 

हरकी दून

रवांई क्षेत्र के नाम से प्रसिद्ध हरकी दून उत्तरकाशी से 176 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक समतल घाटी है।  यहां से कुछ ही दूरी पर ज्योधार  ग्लेशियर व वारसू घाटी स्थित है।  इस क्षेत्र के इष्ट देवता समसू शिव है।  किंतु समसू की पूजा दुर्योधन के रूप में की जाती है।  यह बहुत ही मनमोहक स्थल है।


उत्तरकाशी जिले की विधुत परियोजना Uttarkashi jile ke vidhut pariyojna


मनेरी भाली विधुत परियोजना, सोनगाढ़ परियोजना, गंगानी परियोजना, सियांगगाड़ परियोजना, रूपिन परियोजना, करमोली परियोजना, कालिंदीगाड़ परियोजना, सुबारी गाड़ परियोजना, भैरों घाटी परियोजना, तिलोथ परियोजना, तालुका सांकरी परियोजना, हनुमान गंगा परियोजना, मोरी हनोल परियोजना, नेटवाड़ मोरी परियोजना, जधगंगा परियोजना, असीगंगा परियोजना, लिम्बागाड़ परियोजना

उत्तरकाशी जिले के प्रमुख बुग्याल Uttarkashi jile ke pramukh bugyaal


सोनागाड़ बुग्याल, सुरम्य बुग्याल, चाइंशिल बुग्याल, चौलधार बुग्याल, मांझीवन बुग्याल, रूमनौल सौण बुग्याल, बागाली खर्क बुग्याल, दयारा बुग्याल, हर्षिल बुग्याल, हरकी दून बुग्याल, हनुमान चट्टी बुग्याल, कुश कल्याण बुग्याल, देवदामिनी बुग्याल, केदारखर्क बुग्याल, तपोवन बुग्याल 

उत्तरकाशी जिले के प्रमुख मेले Uttarkashi jile ke pramukh mele

पंचकोशी मेला, हारदूध का मेला, लोसर का मेला, मोरी का मेला श्रावणी मेला बेठल मेला, अठोड़ मेला, गेंदवा मेला, सेलकू का मेला बैसाखी का मेलाा, कुटैटी देवी का मेला

उत्तरकाशी जिले के प्रमुख ग्लेशिय Uttarkashi jile ke pramukh gleshiyar

गंगोत्री ग्लेशियर, बंदरपूंछ ग्लेशियर, यमुनोत्री ग्लेशियर, डोरियानी ग्लेशियर, खिमलोगा ग्लेशियर, चतुरंगी ग्लेशियर,चांग थांग ग्लेशियर 

उत्तरकाशी के प्रमुख दर्रे Uttarkashi ke pramukh darre 

श्रृंगकण्ड दर्रा →उत्तरकाशी और हिमाचल के मध्य
कालिंदी दर्रा उत्तरकाशी और चमोली के मध्य
मुलिंग ला  →  उत्तरकाशी और  चीन के मध्य
थांगला दर्रा उत्तरकाशी और चीन के मध्य
नेलांग घाटी दर्रा उत्तरकाशी और चीन के मध्य