Tehri Garhwal-Tourist place in Tehri Garhwal-Tehri Garhwal ki जल विधुत परियोजना-Tehri Garhwal University


Tehri Garhwal


Tehri Garhwal ka itihas टिहरी गढ़वाल का इतिहास


Tehri Garhwalभारत के स्वतंत्रता के उपरांत 1 अगस्त 1949 को टिहरी गढ़वाल Tehri Garhwal एक पृथक जनपद के रूप में गठित किया गया था। यह जनपद इससे पूर्व टिहरी रियासत कहलाता था।  

Tehri Garhwal टिहरी गढ़वाल से ही काटकर 1960 में उत्तरकाशी तथा 1997 में रुद्रप्रयाग ज़िलों का गठन किया गया था।  भागीरथी एवं भिलंगना नदियों के संगम पर स्थित पुराना टिहरी नगर 29 अक्टूबर 2005 को टिहरी डैम में विलीन हो गया।

पुराना टिहरी Tehri समुद्र तल से 770 मीटर की ऊंचाई पर और ऋषिकेश से 84 किमी दूर स्थित है। टिहरी बांध निर्माण के फल स्वरुप शासन ने टिहरी के विकल्प के रूप में पुरानी टिहरी से 24 किमी दक्षिण एवं ऋषिकेश से 60 किमी की दूरी पर नई टिहरी नाम से एक नया नगर बसाया। और लोगों का पुनर्वास, किया कुछ लोग हरिद्वार और देहरादून में बस गए थे। 
   
गोरखा काल के बाद इस क्षेत्र में राजा सुदर्शन शाह ने टिहरी रियासत की नींव रखी थी। 30 दिसंबर 1815 को गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह ने टिहरी को अपने राज्य की राजधानी बनाया था। टिहरी को गणेश प्रयाग, त्रिहरी व धनुषतीर्थ के नाम से जाना जाता था। ऐसी मान्यता थी कि पहले यहां घृतगंगा नदी का भी संगम होता था, जो बाद में लुप्त हो गई थी।  

टिहरी Tehri जनपद का मुख्यालय कुछ वर्ष पूर्व तक नरेंद्र नगर था। परंतु नई टिहरी के निर्माण के बाद सभी कार्यालय यही स्थानांतरित कर दिए गए हैं। नया टिहरी गढ़वाल का निर्माण योजनाबद्ध ढंग से किया गया है।  अब यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है।  

मुख्यालय → नई टिहरी

क्षेत्रफल  → 3642 वर्ग किलोमीटर

जनसंख्या  → 618931 पुरुष  297986 महिला → 320945

साक्षरता  → 76.36%  पुरुष → 89.76%  महिला → 69.28%

तहसीलें 12 → टिहरी, प्रताप नगर, घनसाली, देवप्रयाग, जाखणीधार, नरेंद्र नगर, धनोल्टी, कण्डीसौंड़, गजा, नैनबाग, कीर्ति नगर, बालगंगा 

विकासखंड 9 →  चंम्बा, प्रताप नगर, घनसाली, जौनपुर , देवप्रयाग, जखणीधार, कीर्ति नगर , नरेंद्र नगर, धौलधार 

विधानसभा सीटें 6 →  टिहरी , घनसाली,  देवप्रयाग, नरेंद्र नगर , प्रताप नगर , धनोल्टी 


  Tourist place in Tehri Garhwal

देवप्रयाग

देवप्रयाग भागीरथी और अलकनंदा नदियों के संगम पर समुद्र तल से 472 मीटर की ऊंचाई पर ऋषिकेश बदरीनाथ मार्ग पर स्थित है। इस नगर के निकट दो झूला पुल है। एक भागीरथी नदी पर और एक अलकनंदा में मान्यता है, कि देवप्रयाग में भगवान विष्णु ने राजा बलि से तीन पग धरती दान में मांगी थी यहां पर 2 कुंड है जिन्हें ब्रह्मकुंड भागीरथी नदी की ओर वशिष्ट कुंड अलकनंदानदी की ओर है। पंच प्रयागो में यह का सर्वाधिक धार्मिक महत्व का है। यहां की प्रमुख बात यह है, कि इस क्षेत्र में कौवे नहीं दिखाई पड़ते हैं।  

भगवान राम ने रावण का वध करने के पश्चात यहां की यात्रा की थी। यहां का रघुनाथ राम मंदिर वर्तमान में इस घटना का साक्षी है। रघुनाथ राम मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है, इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य द्वारा किया गया था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर माधो सिंह भंडारी की पुत्रवधू मथुरा वैरागी द्वारा लिखा गढ़वाल राज वंश के अधिपति पृथ्वीशाह के शासनकाल का एक लेख अंकित है। 

देव प्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। देवप्रयाग नगर पंचायत का आधा भाग टिहरी में और आधा भाग पौड़ी गढ़वाल में आता है। कहा जाता है, कि सतयुग में देवशर्मा नामक ऋषि ने इस स्थल पर तप किया था। जिससे इस क्षेत्र का नाम देवप्रयाग पड़ा देवप्रयाग को इंद्र प्रयाग भी कहा जाता है। 

 माना जाता है, कि देवराज इंद्र ने इसी स्थान पर शिव की आराधना करके वरदान प्राप्त किया था।  जिसके फलस्वरूप उन्होंने दधीचि ऋषि की हड्डियों से निर्मित ब्रज का प्रयोग करके वृत्तासुर को युद्ध में हराया था। देवपयाग के संगम पर पिंड दान का विशेष महत्व है। 

चंद्रबदनी

टिहरी से श्रीनगर मोटर मार्ग पर कांडीखाल से 8 किमी पैदल मार्ग पर यह मंदिर स्थित है। तीर्थ स्थलों में विख्यात सिद्ध पीठ मां चंद्रबदनी का मंदिर चंद्रकूट पर्वत पर स्थित है। यहां अखंड ज्योति निरंतर प्रज्वलित रहती है। यहां पर एक प्राकृतिक श्रीयंत्र स्थापित है। स्कंद पुराण में इसे भुवनेश्वरी पीठ कहा गया है। 1903 में भूकंप आने के कारण इस मंदिर को बहुत क्षति पहुंची थी, जिसका नवीनीकरण स्वामी मनमथ द्वारा कराया गया था। 

चंबा 

हिमालय शिखरों  एवं पवित्र भागीरथ घाटी के मनोरम दृश्य प्रस्तुत करता चम्बा नगर नई टिहरी से 11 किमी की दूरी पर समुद्र तल से 1676 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मसूरी, ऋषिकेश, टिहरी एवं नई टिहरी से आने वाले मुख्य मार्गों के संगम स्थल पर स्थित होने के कारण यह एक केंद्र बिंदु के रूप में स्थापित हो गया, यह पांच सड़कों का चौराहा बनाता है। विक्टोरिया क्रॉस प्राप्त करने वाले गब्बर सिंह नेगी का जन्म यहीं पर हुआ था, उनकी स्मृति में यहां प्रतिवर्ष 21 अप्रैल को मेला लगता है। 

धनोल्टी

मसूरी चंबा मार्ग पर स्थित यह स्थल मसूरी से 24 किमी एवं चंबा से 29 किमी की दूरी पर स्थित है।  देवदार एवं बांज के घने वनों के मध्य स्थित धनोल्टी शांत वातावरण का एक आदर्श स्थल है।  

केंपटी जलप्रपात

समुद्र तल से 1215 मीटर की ऊंचाई पर मसूरी यमुनोत्री मार्ग पर मसूरी से 15 किमी दूर टिहरी जिले में स्थित केंपटी जलप्रपात विशाल एवं मनोहर जल प्रापत होने की विशिष्टता रखता है। यह जलप्रपात एक सुंदर घाटी में स्थित है, जो चारों ओर से विशाल पर्वतों से घिरा हुआ है। 

नरेंद्र नगर

नरेंद्र नगर समद्र तल से 1129 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नगर मुनी की रेती ऋषिकेश से 16 किमी उत्तर में  स्थित है। नरेंद्र नगर को नरेंद्र शाह द्वारा 1921 में बसाया गया था। पहले यह नगर गढ़वाल राज्य की राजधानी रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक यह नगर टिहरी गढ़वाल जिले का मुख्यालय था। परंतु अब नई टिहरी शहर को टिहरी गढ़वाल जिले का मुख्यालय बना दिया गया है। नगर के समीप ही घने जंगल में टिहरी नरेश का महल है, जिससे अब आनंद स्पा कहा जाता है। नरेंद्र नगर में उत्तराखंड की एक मात्र पुलिस प्रशासन अकादमी 1 मई 2011 से शुरू की गई है। 


मुनी की रेती

 टिहरी गढ़वाल का प्रवेश द्वार कहे  जाने वाला मुनी की रेती लक्ष्मण झूले के निकट चंद्रभागा नदी के तट पर स्थित है। इसका पुराना नाम मौनी की रेती था। यह स्थान देश विदेशों में आध्यात्मिक केंद्र के रूप में प्रसिद्ध है। 1815 तक यहां ऋषिकेश में शामिल था, परंतु ब्रिटिश गढ़वाल मैं चंद्रभागा नदी को सीमा रेखा माना गया अतः इसको टिहरी का हिस्सा बना दिया गया। 

सुरकंडा देवी

यह सिद्ध पीठ टिहरी के जौनपुर ब्लाक में धनोल्टी से 8 किमी की दूरी पर सुरकूट शिखर पर स्थित है। ऐसा माना जाता है, कि इस स्थान पर माँ सती का सिर गिरा था। यह स्थान राज्य का इकलौता सिद्ध पीठ है, जहां गंगा दशहरे पर विशाल मेला का आयोजन होता है। इसका पुनर्निर्माण स्वामी शिवानंद द्वारा 1946 में किया गया था।  यहां के पुजारी स्थानीय लेखवार ब्राह्मण होते हैं। 

नाग टिब्बा

नाग टिब्बा समुद्र तल से 3048 मीटर ऊंचाई पर बसा हुआ है। यहां क्षेत्र घने जंगलों एवं प्राकृतिक सौंदर्य से परिपूर्ण है। पर्यटक यहां से हिमालय के मनोरम दृश्यों दृश्यों को अवलोकन कर सकते हैं।  नाग टिब्बा लंबी पदयात्रा एवं साहसिक कार्यों में अभी रुचि रखने वाले पर्यटकों के लिए संपूर्ण अवसर प्रदान करता है। 

बूढ़ा केदार  

घनसाली ब्लॉक से 31 किमी की दूरी पर बालगंगा तहसील क्षेत्र में बालगंगा एवं धर्म गंगा के संगम पर स्थित है। यहां पर भगवान के केदारनाथ का प्राचीन एवं भव्य मंदिर है। 

खतलिंग ग्लेशियर

खतलिंग ग्लेशियर भिलंगना नदी का उद्गम स्थल है। इसकी खोज सुरेंद्र सिंह पांगती और इंद्रमणि बडोनी ने की थी।  पुराणों में इसका नाम स्फटिक कहा जाता है। इसको वर्ष 2017 में ट्रैक ऑफ द ईयर घोषित किया गया था। इस ग्लेशियर दाहिने और दूधगंगा ग्लेशियर स्थित है। 

टिहरी बांध

 सुमन सागर और स्वामी रामतीर्थ सागर के नाम से जाना जाने वाला टिहरी बांध विश्व का चौथा एवं भारत का सबसे ऊंचा बांध है, इसकी ऊंचाई 260.5 मीटर है। इसकी देखरेख के लिए टिहरी हाइड्रो डेवलपमेंट काॅरपोरेशन का गठन 12 जुलाई 1988 को किया गया था।  इसका मुख्यालय इस ऋषिकेश में है।  
यह परियोजना 2400 मेगावाट की तीन इकाइयों में बांटी गई है। टिहरी बांध जल विद्युत इकाई 1000 मेगावाट, टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना 1000 मेगावाट, कोटेश्वर परियोजना 400 मेगावाट की है।  टिहरी बांध में डूबे गए प्रमुख क्षेत्र गणेश प्रयाग मुनितीर्थ प्रयाग विष्णु तीर्थ ब्रह्मतीर्थ राजराजेश्वरी मंदिर रंगनाथ मंदिर पुराना दरबार लाटकोठी, गोलकोठे, घंटाघर, सुमन चौक रामतीर्थ समाधि आदि स्थल हैं।  

Tehri Garhwal के प्रमुख मेले और त्योहार

मौण मेला, अल्मोडिया मेला, परोगी मेला, रणभूत कौथीक, तिलका देवी मेला, त्याड़ मेला, रवाई किसान विकास मेला, चंद्रबदनी मेला कुंजापुरी मेला, वीर गब्बर सिंह मेला, सुरकंडा मेला, नाग तिब्बा मेला, जाख का मेल, दुबड़ी का मेला, श्री कोट का मेला

 Tehri Garhwal जिले की प्रमुख परियोजनाएं

भिलंगना परियोजना, अंगूठा थाती परियोजना, रयात परियोजना, लंगरासू परियोजना, कोट बुढ़ा केदार परियोजना, झाला कोटी परियोजना 

Tehri Garhwal टिहरी जिले की प्रमुख ताल 

1.सहस्त्र ताल 2. मासर ताल 3. जराल ताल 4. मंजाण ताल 5. कुश कल्याण ताल 

Tehri Garhwal जिले के प्रमुख बुग्याल 

1. खतलिंग बुग्याल  2. जौराई बुग्याल  3. खारसोली बुग्याल  4. पंवाली के कांठा बुग्याल