Tehri Garhwal-Tourist place in Tehri Garhwal-Tehri Garhwal ki जल विधुत परियोजना-Tehri Garhwal University
Tehri Garhwal ka itihas टिहरी गढ़वाल का इतिहास
Tehri Garhwal टिहरी गढ़वाल से ही काटकर 1960 में उत्तरकाशी तथा 1997 में रुद्रप्रयाग ज़िलों का गठन किया गया था। भागीरथी एवं भिलंगना नदियों के संगम पर स्थित पुराना टिहरी नगर 29 अक्टूबर 2005 को टिहरी डैम में विलीन हो गया।
पुराना टिहरी Tehri समुद्र तल से 770 मीटर की ऊंचाई पर और ऋषिकेश से 84 किमी दूर स्थित है। टिहरी बांध निर्माण के फल स्वरुप शासन ने टिहरी के विकल्प के रूप में पुरानी टिहरी से 24 किमी दक्षिण एवं ऋषिकेश से 60 किमी की दूरी पर नई टिहरी नाम से एक नया नगर बसाया। और लोगों का पुनर्वास, किया कुछ लोग हरिद्वार और देहरादून में बस गए थे।
गोरखा काल के बाद इस क्षेत्र में राजा सुदर्शन शाह ने टिहरी रियासत की नींव रखी थी। 30 दिसंबर 1815 को गढ़वाल नरेश सुदर्शन शाह ने टिहरी को अपने राज्य की राजधानी बनाया था। टिहरी को गणेश प्रयाग, त्रिहरी व धनुषतीर्थ के नाम से जाना जाता था। ऐसी मान्यता थी कि पहले यहां घृतगंगा नदी का भी संगम होता था, जो बाद में लुप्त हो गई थी।
टिहरी Tehri जनपद का मुख्यालय कुछ वर्ष पूर्व तक नरेंद्र नगर था। परंतु नई टिहरी के निर्माण के बाद सभी कार्यालय यही स्थानांतरित कर दिए गए हैं। नया टिहरी गढ़वाल का निर्माण योजनाबद्ध ढंग से किया गया है। अब यह एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित हो रहा है।
मुख्यालय → नई टिहरी
क्षेत्रफल → 3642 वर्ग किलोमीटर
जनसंख्या → 618931 पुरुष → 297986 महिला → 320945
साक्षरता → 76.36% पुरुष → 89.76% महिला → 69.28%
तहसीलें 12 → टिहरी, प्रताप नगर, घनसाली, देवप्रयाग, जाखणीधार, नरेंद्र नगर, धनोल्टी, कण्डीसौंड़, गजा, नैनबाग, कीर्ति नगर, बालगंगा
विकासखंड 9 → चंम्बा, प्रताप नगर, घनसाली, जौनपुर , देवप्रयाग, जखणीधार, कीर्ति नगर , नरेंद्र नगर, धौलधार
विधानसभा सीटें 6 → टिहरी , घनसाली, देवप्रयाग, नरेंद्र नगर , प्रताप नगर , धनोल्टी
Tourist place in Tehri Garhwal
देवप्रयाग
भगवान राम ने रावण का वध करने के पश्चात यहां की यात्रा की थी। यहां का रघुनाथ राम मंदिर वर्तमान में इस घटना का साक्षी है। रघुनाथ राम मंदिर द्रविड़ शैली में बना हुआ है, इस मंदिर का निर्माण शंकराचार्य द्वारा किया गया था। मंदिर के प्रवेश द्वार पर माधो सिंह भंडारी की पुत्रवधू मथुरा वैरागी द्वारा लिखा गढ़वाल राज वंश के अधिपति पृथ्वीशाह के शासनकाल का एक लेख अंकित है।
देव प्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र के नाम से भी जाना जाता है। देवप्रयाग नगर पंचायत का आधा भाग टिहरी में और आधा भाग पौड़ी गढ़वाल में आता है। कहा जाता है, कि सतयुग में देवशर्मा नामक ऋषि ने इस स्थल पर तप किया था। जिससे इस क्षेत्र का नाम देवप्रयाग पड़ा देवप्रयाग को इंद्र प्रयाग भी कहा जाता है।
माना जाता है, कि देवराज इंद्र ने इसी स्थान पर शिव की आराधना करके वरदान प्राप्त किया था। जिसके फलस्वरूप उन्होंने दधीचि ऋषि की हड्डियों से निर्मित ब्रज का प्रयोग करके वृत्तासुर को युद्ध में हराया था। देवपयाग के संगम पर पिंड दान का विशेष महत्व है।
चंद्रबदनी
चंबा
धनोल्टी
मसूरी चंबा मार्ग पर स्थित यह स्थल मसूरी से 24 किमी एवं चंबा से 29 किमी की दूरी पर स्थित है। देवदार एवं बांज के घने वनों के मध्य स्थित धनोल्टी शांत वातावरण का एक आदर्श स्थल है।
केंपटी जलप्रपात
समुद्र तल से 1215 मीटर की ऊंचाई पर मसूरी यमुनोत्री मार्ग पर मसूरी से 15 किमी दूर टिहरी जिले में स्थित केंपटी जलप्रपात विशाल एवं मनोहर जल प्रापत होने की विशिष्टता रखता है। यह जलप्रपात एक सुंदर घाटी में स्थित है, जो चारों ओर से विशाल पर्वतों से घिरा हुआ है।
नरेंद्र नगर
नरेंद्र नगर समद्र तल से 1129 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। यह नगर मुनी की रेती ऋषिकेश से 16 किमी उत्तर में स्थित है। नरेंद्र नगर को नरेंद्र शाह द्वारा 1921 में बसाया गया था। पहले यह नगर गढ़वाल राज्य की राजधानी रहा है। कुछ वर्ष पूर्व तक यह नगर टिहरी गढ़वाल जिले का मुख्यालय था। परंतु अब नई टिहरी शहर को टिहरी गढ़वाल जिले का मुख्यालय बना दिया गया है। नगर के समीप ही घने जंगल में टिहरी नरेश का महल है, जिससे अब आनंद स्पा कहा जाता है। नरेंद्र नगर में उत्तराखंड की एक मात्र पुलिस प्रशासन अकादमी 1 मई 2011 से शुरू की गई है।
मुनी की रेती
सुरकंडा देवी
नाग टिब्बा
बूढ़ा केदार
खतलिंग ग्लेशियर
टिहरी बांध
यह परियोजना 2400 मेगावाट की तीन इकाइयों में बांटी गई है। टिहरी बांध जल विद्युत इकाई 1000 मेगावाट, टिहरी पम्प स्टोरेज परियोजना 1000 मेगावाट, कोटेश्वर परियोजना 400 मेगावाट की है। टिहरी बांध में डूबे गए प्रमुख क्षेत्र गणेश प्रयाग मुनितीर्थ प्रयाग विष्णु तीर्थ ब्रह्मतीर्थ राजराजेश्वरी मंदिर रंगनाथ मंदिर पुराना दरबार लाटकोठी, गोलकोठे, घंटाघर, सुमन चौक रामतीर्थ समाधि आदि स्थल हैं।
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