Rudraprayag-रुद्रप्रयाग


District Rudraprayag  जनपद रुद्रप्रयाग


Rudraprayag: रुद्रप्रयाग Rudraprayag जनपद का गठन 18 सितंबर 1997 को टिहरी, पौड़ी तथा चमोली जिलों के भागों को मिलाकर बनाया गया था रुद्रप्रयाग का पुराना नाम पुनाड़ था रुद्रप्रयाग को 30 सितंबर 1989  को तहसील बनाया गया था।  
रुद्रप्रयाग Rudraprayag उत्तराखंड uttarakhand के तीर्थ केदारनाथ और  बद्रीनाथ धाम की यात्रा का मुख्य पड़ाव है रुद्रप्रयाग पंच प्रयागो मे से एक प्रयाग है यह ऋषिकेश से 139 किमी की दूरी पर अलकनंदा एवं मंदाकिनी नदियों का संगम पर स्थित है। यहां पर भगवान रुद्रनाथ का  पुराना मंदिर स्थित है महाभारत काल में इसका नाम रूद्रावर्त था रुद्रप्रयाग जनपद में  200 से अधिक शिव मंदिर है रुद्रप्रयाग जनपद में पांडव नृत्य एवं बगड़वाल नृत्य प्रसिद्ध है। 

मुख्यालय → रुद्रप्रयाग 

क्षेत्रफल → 1984 वर्ग मीटर

जनसंख्या → 242285   पुरूष → 114589   महिला127696 

साक्षरता दर  82% 

तहसीले →  रुद्रप्रयाग, उखीमठ, वसुकेदार, जखोली 

विकासखंड  ऊखीमठ, जखोली, अगस्तमुनि 

विधानसभा सीटें   केदारनाथ, रुद्रप्रयाग


रुद्रप्रयाग जिले में स्थित प्रमुख दर्शनीय स्थल


केदारनाथ

रुद्रप्रयाग जिले में  स्थित केदारनाथ मंदिर भगवान  शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है यह मंदिर समुद्र तल से 3584 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के शीर्ष पर स्थित है इस मंदिर के कारण ही गढ़वाल का प्राचीन नाम केदारखंड पड़ा था यह मंदिर भरतखंड और केदारनाथ पर्वतों के मध्य स्थित है जिसके बायें भाग में पुरंदर पर्वत स्थित है इस मंदिर को कत्यूरी निर्माण शैली में बनाया गया है इसके निर्माण में भूरे रंग के विशाल पत्थरों का प्रयोग किया गया है

यह मंदिर छत्र प्रसाद युक्त हैं इसके गर्भ गृह में त्रिकोण आकृति की बहुत बड़ी शिला है जिसकी पूजा भक्तगण करते है इसी स्वयंभू केदारलिंग की उपासना पांडवों ने भी की थी सभामंडप में चार विशाल पाषाण स्तंभ है तथा दीवारों के गौरवें में नवनाथों की मूर्तियां हैं दीवारों पर सुंदर चित्रकारी भी की गई है मंदिर के बाहर रक्षक देवता के रूप में भैरव नाथ जी का मंदिर है इस मंदिर के निकट आदि गुरु शंकराचार्य की समाधि स्थित है यहां अनेको कुंड स्थित है जिनमें से शिव कुंड मुख्य व  लाल पानी वाला रुधिर कुंड प्रमुख  है

यह माना जाता है कि कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद अपने परिचितों एवं सगे संबंधियों को युद्ध में मारने के कारण पांडव स्वयं को दोषी महसूस कर रहे थे उन्हें अपने पापों के प्रायश्चित के लिए भगवान शिव के आशीर्वाद की आवश्यकता थी जबकि शिव पांडवों से मिलना नहीं चाहते थे वह पांडवों से निरंतर दूर भागते रहे उन्होंने केदारनाथ में स्वयं को एक बेल के रूप में परिवर्तित कर लिया पांडवों द्वारा निरंतर पीछा किए जाने के बाद  वे सतह पर कूवड़ वाला पिछला भाग छोड़कर शेष भाग सहित पृथ्वी में समा गए थे 

भगवान शिव के शरीर के शेष भाग चार विभिन्न स्थानों पर पुनः प्राप्त हुए इनमें तुंगनाथ मैं भुजाएं रुद्रनाथ में मुंह मद्महेश्वर में नाभि कल्पेश्वर में केस की पूजा उनके प्राप्त स्थलों पर की जाती हैं इन्हें स्थलों को पंचकेदार कहा जाता है पंचकेदारों मैं से तीन केदारनाथ तुंगनाथ तथा मदमहेश्वर नाथ रुद्रप्रयाग जिले में स्थित है। 

मदमहेश्वर नाथ

पंच केदार में इन्हें द्वितीय केदार माना जाता है यह मंदिर चौखंबा शिखर पर 3298 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है यह मंदिर केदारनाथ मंदिर के समान क्षत्र शैली में बना है जो बड़े-बड़े पत्थरों को तराशकर बनाया गया है यह मंदिर गुप्तकाशी से 32 किमी की दूरी पर स्थित है पांडव शैली के शिव मंदिर के आस पास वर्षा ऋतु में ब्रह्म कमल खिलते है यहां शिव की नाभि की पूजा होती है इस मंदिर के निकट हिंवाली देवी मंदिर, क्षेत्रपाल मंदिर, बूढ़ा मध्यमहेश्वर मंदिर स्थित है। 

तुंगनाथ

यह मंदिर समुद्र तल से 3680 मीटर की ऊंचाई पर उखीमठ  गोपेश्वर मार्ग पर 30 किमी की दूरी पर चंद्रशिला पर्वत के शिखर पर स्थित है यहां मंदिर पंच केदारों में से तृतीय केदार माना जाता है शिव के इस मंदिर में गुंबज के विस्तार में 16 द्वार हैं यहां आदि गुरु शंकराचार्य की एक 2.5 फुट लंबी मूर्ति स्थित है यहां शिव के हाथ की पूजा होती है पंच केदार में इन्हें तृतीय केदार कहा गया है शीतकाल में तुंगनाथ  की पूजा मक्कूमठ में होती है इस मंदिर से कुछ ही दूरी पर रावण शिला है तुंगनाथ उत्तराखंड में सर्वाधिक ऊंचाई पर स्थित देव मंदिर है। 

ऊखीमठ

मंदाकिनी नदी के बाएं तट पर स्थित यह  केदारनाथ मठ के रावल पुजारियों का निवास तथा केदारनाथ मंदिर समिति का मुख्यालय है साथ यह स्थान भगवान केदारनाथ का शरद ऋतु में निवास स्थान है शरद ऋतु में जब केदारनाथ मंदिर के कपाट बंद हो जाता है तो भगवान केदारनाथ की पूजा अर्चना ऊखीमठ में की जाती है ओमकेश्वर भगवान शिव का मंदिर है जिसकी  निर्माण शंकराचार्य जी ने कराया था। 

सोनप्रयाग

यह केदारनाथ मार्ग पर समुद्र तल से 1829 मीटर की ऊंचाई पर बसुकी एवं मंदाकिनी नदियों के संगम पर स्थित है इसके पास कैलाश मंदिर भी स्थित है

गौरीकुंड

समुद्र तल से 1982 मीटर की ऊंचाई पर सोनप्रयाग से 5 किमी की दूरी पर स्थित गौरीकुंड केदारनाथ मार्ग का अंतिम बस स्टेशन है यहां यात्री गर्म जल के कुंड में स्नान करते हैं एवं गौरी देवी मंदिर के दर्शन करते हैं। 

अगस्तमुनि

यह स्थान रुद्रप्रयाग से 18 किमी दूर पर समुद्र तल से 1000 मीटर की ऊंचाई पर मंदाकिनी नदी के तट पर स्थित है यह वह स्थान है जहां ऋषि अगस्त ने वर्षों तक तप किया था  यहाँ  पर अगस्तेशवर महादेव के नाम से  एक मंदिर स्थापित है जो अगस्त मुनि के नाम से प्रसिद्ध है। 

गुप्तकाशी

काशी के समान ही  यहां गुप्तकाशी का महत्व है यह रुद्रप्रयाग से 42 किमी दूर स्थित है यहां मुख्य रूप से विश्वनाथ मंदिर, अर्द्धनरीश्वर मंदिर एवं मणिकार्णिक कुंड है ऐसा विश्वास किया जाता है कि मणिकार्णिका कुंड में गंगा एवं यमुना नदियां दोनों नदियां निकलती है। 

कोटेश्वर महादेव

रुद्रप्रयाग मुख्यालय से 3 किमी उत्तर पूर्व की ओर अलकनंदा के तट पर कोटेश्वर नामक अति प्राचीन मंदिर गुफा के अंदर स्थित है इस गुफा में कई शिवलिंग है। 

बाणासुर गढ़ मंदिर

गुप्तकाशी बसु केदार मार्ग पर प्राचीन बाणासुर मंदिर राजकीय इंटर कॉलेज लमगौड़ी से मिला हुआ है मान्यता के अनुसार यह  बाणासुर नामक असुर राजा की राजधानी थी इस मंदिर की स्थापना बाणासुर के द्वारा की गई थी। 

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कालीमठ सिद्ध पीठ 

कालीमठ मां शक्ति के सिद्ध पीठों में से एक  है यह रूद्रप्रयाग गुप्तकाशी मोटर मार्ग पर गुप्तकाशी से 10 किमी की दूरी पर स्थित है यहां महकाली  मंदिर में कोई मूर्ति नहीं है यहां पर एक रजत मंडित बेदिका है इसी की पूजा की जाती है शारदीय नवरात्र की सप्तमी को यहां मेला लगता है कहा जाता है कि इस स्थान पर महाशक्ति महालक्ष्मी एवं महासरस्वती त्रिशक्ति विराजमान है यहां पर काविल्टा नामक स्थान पर कालिदास का जन्म हुआ था। 

त्रिजुगीनारायण

 भगवान विष्णु की उपस्थिति में इसी स्थान पर भगवान शिव एवं मां पार्वती का विवाह हुआ था यह स्थान कालीमठ से 49 किमी की दूरी पर स्थित है यहां एक अमर ज्योति प्रज्वलित है यहां पर कश्यप ऋषि की पत्नी वेद माला अदिति का आश्रम लिए जिनके गर्व से वामनवतार हुआ था यह मंदिर कहती है शैली में बना हुआ है। 

Rudraprayag रुद्रप्रयाग जिले के प्रमुख बुग्याल

तुंगनाथ बुग्याल, केदारनाथ बुग्याल, चोपता बुग्याल, कसनी बुग्याल, बर्मी बुग्याल, खाम मनणी बुग्याल, बूढ़ा मद्महेश्वर बुग्याल 

Rudraprayag रुद्रप्रयाग जिले के प्रमुख मेले

रणजीत मेला, दूणगैरा मेला, नागेश्वर मेला, मठियाणा मेला, वासुदेव का मेला, कालीकाठ मेला, वामसू मेला, हरियाली देवी मेला, जाख मेला, सैजा मेला, कुमासैण मेला, रच्छ महादेव मेला 

Rudraprayag रुद्रप्रयाग जनपद के प्रमुख ताले अथवा झीलेंं

वासुक ताल,  देवरिया ताल, नंदी कुंड, वाधाणी ताल, यम ताल, सिद्ध ताल, बनिया ताल, विसरी ताल, पौंया ताल, चौराबाड़ी ताल