India's first woman pilot Sarla Thakral biography


India's first woman pilot Sarla Thakral biography-भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल की जीवनी 


अन्य देशों की तुलना में महिला पायलटों की संख्या भारत में अधिक है। बिश्व के अन्य देशो में भारत का स्थान महिला पायलटों में सबसे ऊपर है। यहां के आसमान में महिलाएं का डंका बजता है। वर्त्तमान समय में भारतीय विमान कंपनियों में करीब 12 % महिला पायलट है।  जो विश्व के लगभग 4.5% से अधिक है। देश में महिलाओं को पायलट बनाने की राह दिए वाली भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल थी। उन्होंने अपनी पहली सोलो फ्लाइट की उड़न साड़ी पहनकर भरी थी। 
 

सरला ठकराल भारत की पहली महिला पायलट


सरला ठकराल Sarla Thakral : भारत की पहली महिला पायलट सरला ठकराल का जन्म 18 अगस्त 1914 को नई दिल्ली के एक नामी परिवार में हुआ था। सरला की  शादी 16 साल की कम उम्र में ही हो गई थी।  इनके पति का नाम पी०डी० शर्मा था, वह एक पायलट थे। सरला को लोग प्यार से मती भी कहते थे।  सरला की शादी जिस परिवार में हुई उस परिवार मैं नौ सदस्य थे, और सभी पायलट थे। 

 शादी के बाद पी० डी० शर्मा ने सरला को उड़ान भरने और विमान के बारे में जानने की जिज्ञासा को देकते हुइ उन्होंने  सरला को एक पायलट बनने के लिए कहा शुरुआत में तो समाज के डर से सरला ने कई बार मना कर दिया था।  परंतु आखिर में उनके पति ने उन्हें मना ही लिया इतना ही नहीं सलाह के परिवार में बाकी सब भी खुश थे, कि वह पायलट बनने के लिए तैयार हो गई। 

सरला ठकराल की पहली बार उड़ाया जिप्सी माॅथ प्लेन

पायलट ट्रेनिंग के लिए सरला ठकराल का दाखिला जोधपुर फ्लाइंग क्लब में कराया गया था। इस फ्लाइंग क्लब ने आज से पहले किसी लड़की को दाखिला नहीं दिया था। आज वह एक महिला साड़ी पहनकर प्लेन चलाना सीखने आई थी। जोधपुर फ्लाइंग स्कूल के लिए यह एक बहुत ही अलग स्थिति थी। सरला का एक प्लेन से  किताबी और वास्तविक रूप से परिचय कराया गया सरला की रुचि अपने काम में प्रति इतनी अधिक थी, कि वह हर सवाल का जवाब उनकी जुबानी पर था। सरला का इस हाजिर जवाब को देखते हुए ट्रेनिंग ट्रेनर ने  महज 8 घंटे के अंदर ही उन्हें सरला पर इतना विश्वास हो गया। 

सरला जोधपुर फ्लाइट क्लब में ट्रेनिंग के दौरान ही उन्होंने पहली बार साल 1936 में जिप्सी माॅथ नाम का दो सीटर विमान उड़ाया था।  इस दौरान उन्होंने भारतीय परंपरा का मान रखते हुए साड़ी पहन कर अपनी पहली सोलो फ्लाइट में उड़ान भरी थी।  उस दिन सरला ने  सिर्फ अपना फ्लाइंग टेस्ट पास किया बल्कि उन्होंने सोच लिया था, कि वह इसे और आगे तक ले जाएंगे। 

इस तरह बनी पहली महिला पायलट सरला ठकराल

फ्लाइंग टेस्ट पास करने के बाद सरला अंदर से पायलट बनने के लिए तैयार हो चुकी थी। अब  सरला को अपना पहला A लाइसेंस के लिए करीब 1000 घंटे तक प्लेन उड़ाने का अनुभव प्राप्त करना था। वह उस समय महज 21 साल की थी, जब उन्होंने यह कारनामा करके दिखाया और ऐसा करने वाली भारत की पहली महिला पायलट बनी। 

पहला लाइसेंस मिलने से सरला  ने कमर्शियल पायलट का लाइसेंस लेने का प्लान बनाया, इसके लिए उन्होंने जोधपुर में टेस्ट देना था। लेकिन इससे पहले ही उन्हें खबर मिली कि एक प्लेन हादसे में उनकी पति की मौत हो गई।  यह सदमा उनके लिए बहुत बड़ा था।  मगर उनके पति की इच्छा थी, कि सरला पायलट बने इसलिए उसने  जोधपुर जाकर अपनी ट्रेनिंग पूरी की और उन्होंने अपना लाइसेंस बनवाया और सोचा कि एयरलाइंस में अपना कैरियर शुरू करें। 

मगर इससे पहले ही दूसरा विश्वयुद्ध शुरू हो गया जिसके कारण सरला को जोधपुर से लाहौर वापस आना पड़ा विपरीत प्रस्तितिया होने पर भी सरला ठकराल ने हार नहीं मानी और उन्होंने लाहौर के मेयो स्कूल ऑफ आर्ट्स कॉलेज से  फाइन आर्ट्स और चित्रकला की पढ़ाई पूरी करने के बाद उन्होंने पेंटिंग और डिजाइनिंग से अपने नए कैरियर की शुरुआत की लेकिन लेकिन 1947 में देश के बंटवारे के बाद लाहौर पाकिस्तान का हिस्सा बन चुका था।  जिसके कारण उन्होंने अपने दोनों बच्चियों को साथ लेकर भारत वापस आना पड़ा यहां पर उन्होंने अपने परिवार के साथ अपना बिजनेस फिर से शुरू किया कई सालों तक सरला इसी तरह बिजनेस करती रही और 15 मार्च 2008 को उनका निधन हो गया।