Brahmand


  Brahmand-ब्रह्मांड

Brahmand : पृथ्वी के चारों ओर आकाश तथा उसमें उपस्थित सभी खगोलीय पिंड मंदाकिनी, तारे, ग्रह, उपग्रह, और अस्तित्व मान द्रव्य एवं ऊर्जा के सम्मिलित रूप को ब्रह्मांड Brahmand कहते हैं।

खगोलीय वैज्ञानिकों के अनुसार ब्रह्मांड में सैकड़ों अरबों मंदाकिनी स्थित है, तथा प्रत्येक मंदाकिनी मैं लगभग अरब तारे मौजूद हैं। ब्रह्मांड Brahmand से संबंधित अध्ययन को ब्रह्माण्ड विज्ञान cosmology कहते है।  

Brahmand ब्रह्मांड की उत्पत्ति के संबंध में खगोल वैज्ञानिकों ने अनेकों सिद्धांत दिए हैं। उन सभी सिद्धांतों में बिग बैंग सिद्धांत को सर्वाधिक मान्यता प्राप्त है। महा विस्फोट सिद्धांत Big bang theory इस सिद्धांत के अनुसार ब्रह्मांड Brahmand की उत्पत्ति एक गर्म गैस के गोले से लगभग 15 विलियन वर्ष पहले हुई थी। 

हाइड्रा ब्रह्मांड Brahmand का सबसे बड़ा तारामंडल है। 

मंदाकिनी Galaxy ब्रह्मांड में मौजूद तारों के विशाल समूह को मंदाकिनी कहते हैं। यह तारे आपस एक दूसरे के साथ बने होते हैं। ब्रह्मांड में लाखों मंदाकिनी मौजूद है। और प्रत्येक मंडावली में लगभग सौ अरब तारे होते है।  

सौर मंडल Saur mandal

सूर्य के चारों तरफ चक्कर लगाने वाले विभिन्न ग्रहों, क्षुद्रग्रहों, धूमकेतुओं, उल्काओ तथा अन्य आकाशीय पिंडों के समूह को सौरमंडल कहते हैं।

सूर्य 

सूर्य एक गैसीय गोला है जिसमें हाइड्रोजन 71 % हीलियम 26.5 % व अन्य तत्व 2.5% होते हैं। सूर्य का केंद्रीय भाग क्रोड कहलाता है जिस का तापमान 1.5×10 7 °c होता है तथा सूर्य के बाहरी सतह का तापमान 6000°c होता है। 

सूर्य की आयु लगभग 5 बिलियन वर्ष है सूर्य के प्रकाश को पृथ्वी पर पहुंचने में 8 मिनट सेकंड का समय लगता है। 

सौर मंडल के पिंड

अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय शास्त्र संघ के प्राग सम्मेलन 2006 के अनुसार सौरमंडल में उपस्थित पिंडों को तीन श्रेणियों में बांटा गया है।

अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय विज्ञान संघ की बैठक में यम प्लेटो ग्रह का दर्जा समाप्त कर दिया गया है प्लेटो की खोज 1930 में क्लाइड टॉमबाड ने की थी अब ग्रहों की संख्या 9 से घटकर 8 हो गई है। 

1. परंपरागत ग्रह बुद्ध शुक्र पृथ्वी मंगल बृहस्पति शनि अरुण व वरुण। 

2. बौने ग्रह प्लेटो शैरांन सेरस 2003 यूवी 3131

3. लघु सौरमंडलीय पिंड धूमकेतु उपग्रह वह दूसरे छोटे खगोलीय पिंड। 

बुध    यह सूर्य का सबसे नजदीकी ग्रह है यह सबसे छोटा ग्रह है जिसके पास कोई उपग्रह नहीं है यह सूर्य की परिक्रमा सबसे कम समय 88 दिनों में पूरी करता है। 

शुक्र   यह पृथ्वी का सबसे निकटतम ग्रह है यह सबसे चमकीला और सबसे गर्म ग्रह है इसे सांझ का तारा या भोर का तारा भी कहा जाता है यह अन्य ग्रहों के विपरीत दक्षिणावर्त (anticlockwise) चक्रण करता है इसे पृथ्वी का भीगनी ग्रह कहते हैं क्योंकि इसका घनत्व आकार एवं व्यास पृथ्वी के समान है यहां सूर्य की परिक्रमा 224.7 दिनों में पूरी करता है। 

बृहस्पति  यह सौरमंडल का सबसे बड़ा ग्रह होता है इसके उपग्रहों की संख्या सर्वाधिक 64 है यह पीले रंग का उपग्रह है यह सूर्य की परिक्रमा 4333 दिनों में पूरी करता है। 

मंगल इसे लाल ग्रह रेड प्लेनेट कहते हैं इसका रंग लाल आयरन ऑक्साइड के कारण होता है इसके 2 उपग्रह हैं पोबोस और डिमोस। डिमोस सबसे छोटा उपग्रह है। 

शनि यह आकार में दूसरा सबसे बड़ा ग्रह है शनि का सबसे बड़ा उपग्रह टाइटन है यह आकार में बुद्ध के बराबर है इसके 62 उपग्रह है 

अरुण यह आकार में तीसरा सबसे बड़ा ग्रह है यहां सूर्योदय पश्चिम की और व सूर्योस्त पूरब की ओर होता है यह अपनी धूरी पर सूर्य की ओर इतना झुका हुआ है कि लेटा हुआ दिखाई पड़ता है इसके 27 उपग्रह हैं।

वरुण इसके 13 उपग्रह हैं जिनमें टाइटन सबसे बड़ा उपग्रह है यह सूर्य की परिक्रमा 60188 दिनों में पूरी करता है।  

पृथ्वी यह आकार में पांचवा सबसे बड़ा ग्रह है पृथ्वी की आयु लगभग 4.6 वर्ष है यह सौरमंडल का एकमात्र ग्रह है जिस पर जीवन है पृथ्वी सूर्य की एक परिक्रमा पूरी करने में 365 दिन 5 घंटे 48 मिनट 46 सेकंड का समय लगाती है पृथ्वी का एकमात्र उपग्रह चंद्रमा है। 

चंद्रमा चंद्रमा पृथ्वी की एक परिक्रमा लगभग 27 दिन 8 घंटे में पूरी करता है चंद्रमा का व्यास 34 80 किलोमीटर तथा द्रव्यमान पृथ्वी के द्रव्यमान के लगभग1/8 है पृथ्वी एवं चंद्रमा के बीच स्थित अंतरिक्ष को सिसलुनर कहा जाता है चंद्रमा की सतह एवं उसकी आंतरिक स्थिति का अध्ययन करने वाला विज्ञान सेलेनोलॉजी कहलाता है। 

बौने ग्रह 

यम अगस्त 2006 को अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय विज्ञान संघ के प्राग सम्मेलन में गृह कहलाने के मापदंड पर खरे न उतरने के कारण एवं क ग्रह की श्रेणियों से अलग करके बौने ग्रह की श्रेणी में रख दिया गया है आई०ए०यू० ने इसका नया 134340 नाम रखा है। 

सेरस अंतर्राष्ट्रीय खगोलीय विज्ञान संघ की नई परिभाषा के अनुसार इसे बोना ग्रह की श्रेणी में रखा गया है जहां इसे संख्या 1 से जाना जाएगा 

लघु सौरमंडल या पिंड

क्षुद्र ग्रह यह मंगल एवं बृहस्पति ग्रह की कक्षाओं के बीच कुछ छोटे-छोटे आकाशीय पिंड हैं जो सूर्य की परिक्रमा करते रहते हैं। 

धूमकेतु सौर मडल के छोर पर बहुत ही छोटे छोट अरबों पिंड विद्यमान है जो धूमकेत अथवा पुच्छल तारे कहलाते हैं धूमकेतु की पूंछ हमेशा सूर्य से दूर होती दिखाई देती है। 

उल्का 

उल्काएं प्रकाश की चमकीली धारी के रूप में दिखती है जो आकाश में क्षण भर के लिए चमकती है तथा उसके बाद लुप्त हो जाती है। 


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