Hindi Bhasha

 

 Hindi Bhasha-hindi bhasha ka vikas-हिंदी भाषा का विकास

Hindi Bhashaहिंदी भाषा का इतिहास लगभग एक हजार वर्ष पुराना माना गया है। हिंदी भाषा Hindi Bhasha विश्व की लगभग 3000 भाषाओं में से एक है। 

संस्कृत भारत की सबसे प्राचीन भाषा है, जिसे आर्य भाषा या देवभाषा भी कहा जाता है। आकृति या रूप के आधार पर हिंदी भाषा Hindi Bhasha वियोगात्मक भाषा है। भाषा परिवार के आधार पर हिंदी भाषा Hindi Bhasha भारोपीय परिवार की भाषा है। 

भारत में चार भाषा परिवार है, भारोपीय, द्रविड़, आस्ट्रिक व चीनी तिब्बती भारत में बोलने वाली भाषा  के आधार पर भारोपीय परिवार सबसे बड़ा हिंदी भाषा Hindi Bhasha परिवार है।

हिन्दी भाषा का विकास hindi bhasha ka vikas के संबंद में कहा गया है, की  हिंदी भाषा  Hindi Bhasha की आदि जननी संस्कृत है। संस्कृत, पाली, प्राकृत भाषा से होते हुए अपभ्रंश तक पहुंचती है फिर अपभ्रंश, अवहट्ट से गुजरते हुए प्राचीन हिंदी का रूप लेती है सामान्यतः हिंदी भाषा के इतिहास hindi bhasha ka itihas का आरंभ अपभ्रंश से माना जाता है।

अपभ्रंश भाषा का विकास 500 ईस्वी से लेकर 1000 ईसवी के मध्य हुआ और इसमें साहित्य का आरंभ 8वीं सदी से हुआ जो 13वीं सदी तक जारी रहा।

  

प्राचीन हिंदी /आदिकालीन हिंदी 

मध्यदेशीय भाषा परंपरा की विशिष्ट उत्तराधिकारिणी होने के कारण हिंदी का स्थान आधुनिक भारतीय आर्य भाषाओं में सर्वोपरि है प्राचीन हिंदी से अभिप्राय है अपभ्रंश-अवहट्ट के बाद की भाषा हिंदी का आदिकाल हिंदी भाषा का शिशु काल है यह वह काल है जब अपभ्रंश-अवहट्ट का प्रभाव हिंदी भाषा पर मौजूद था और हिंदी की बोलियों के निश्चित व स्पष्ट स्वरूप विकसित नहीं हुए थे।

 मध्यकालीन हिंदी  

मध्यकाल मैं हिंदी का स्वरूप स्पष्ट हो गया था तथा उसकी प्रमुख बोलियां विकसित हो गई इस काल में भाषा के तीन रूप निखर कर सामने आए बृज भाषा अवधि वह खड़ी बोली ब्रजभाषा और अवधी का अत्याधुनिक साहित्यिक विकास हुआ तथा तत्कालीन बृज भाषा साहित्य को कुछ देसी राज्यों का संरक्षण भी प्राप्त हुआ इनके अतिरिक्त मध्यकाल में खड़ी बोली के मिश्रित रूप को साहित्य में प्रयोग किया गया इसी खड़ी बोली का 14वी सदी में दक्षिण में प्रवेश हुआ अतः वहां इसका साहित्य में अधिक प्रयोग हुआ 18 वीं सदी में खड़ी बोली को मुसलमान शासकों का संरक्षण मिला तथा इसके विकास को नई दिशा मिली। 

आधुनिक हिंदी

   हिंदी के आधुनिक काल तक आते-आते बृज भाषा जन भाषा से काफी दूर हट चुकी थी अवधी ने तो बहुत पहले ही साहित्य से मुंह मोड़ लिया था 19वीं सदी के मध्य तक अंग्रेजी सत्ता का महत्तम विस्तार भारत में हो चुका था इस राजनीतिक परिवर्तन का प्रभाव मध्य देश की भाषा हिंदी पर भी पड़ा नवीन राजनैतिक परिस्थितियों ने खड़ी बोली को प्रोत्साहन प्रदान किया जब बृज भाषा और अवधी भाषा का साहित्य रूप जन भाषा से दूर हो गया तब उनका स्थान खड़ी बोली धीरे-धीरे लेने लगी अंग्रेजी सरकार ने भी इसका प्रयोग आरंभ कर दिया हिंदी के आधुनिक काल का प्रारंभ एक और उर्दू का प्रचार होना और दूसरी और काव्य की भाषा बृज भाषा होने के कारण खड़ी बोली को अपने अस्तित्व के लिए संघर्ष करना पड़ा 19 वी सदी तक कविता की भाषा ब्रजभाषा और  गद्य की भाषा खड़ी बोली रही बीसवीं सदी के आते-आते खड़ी बोली गद्य पद्य दोनों की साहित्यिक भाषा बन गई। 

राजभाषा Official language

Official language राजभाषा का शाब्दिक अर्थ है, राजकाज की भाषा जो भाषा देश के राजकीय कार्या के लिए प्रयुक्त होती है, वह राजभाषा Official language कहलाती है।  राजाओं नवाबों के जमाने में इसे दरबारी भाषा कहा जाता था। राजभाषा सरकारी कामकाज चलाने के लिए आवश्यकता की उपज होती है। स्वशासन आने के पश्चात राजभाषा की आवश्यकता होती है प्रायः राष्ट्रभाषा ही स्वशासन आने के पश्चात राजभाषा Official language बन जाती है।

भारत में भी राष्ट्रीय भाषा हिंदी National language hindi को राजभाषा Official language का दर्जा प्राप्त हुआ है।  राजभाषा एक संवैधानिक शब्द है। अनुच्छेद 343 के खंड 1 के अनुसार देवनागरी लिपि में लिखित हिंदी भारत की राजभाषा है। हिंदी को 14 सितंबर 1949 ई० ‌को संवैधानिक रूप से राजभाषा घोषित किया गया था, इसलिए प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में मनाया जाता है।  राजभाषा Official language का एक निश्चित मानक स्वरूप होता है, जिसके साथ कोई छेड़छाड़ या प्रयोग नहीं किया जा सकता। 

हिंदी वर्णमाला Hindi varnamala

 भाषा संस्कृत के भाष शब्द से बना है भाष का अर्थ है बोलना भाषा की सार्थक इकाई वाक्य है वाक्य से छोटा इकाई उपवाक्य, उपवाक्य से छोटी इकाई पदबंध, पदबंध से छोटी इकाई पद, पद से छोटी इकाई अक्षर और अक्षर से छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण है 

वर्ण भाषा की सबसे छोटी इकाई ध्वनि या वर्ण है ध्वनि, वर्ण का उच्चरिण रूप है और वर्ण ध्वनि का लिखित रूप है अब से ह तक हिंदी के वर्ण हैं जिनकी कुल संख्या 46 है इनमें 11 स्वर 33 व्यंजन एक अनुस्वर अं तथा एक विसर्ग अ: होता है इसके अतिरिक्त हिंदी वर्णमाला में दो द्विगुण व्यंजन डन ड़, ढ़ तथा चार संयुक्त व्यंजन क्ष, श्र, ज्ञ, त्र होते हैं। 

स्वर Vowels 

स्वतंत्र रूप से बोले जाने वाले वर्ण स्वर कहलाते हैं परंपरागत रूप से इनकी संख्या 13 मानी गई है उच्चारण की दृष्टि से इनमें केवल 10 ही स्वर हैं। 

अ आ इ ई  उ ऊ ए ऐ ओ ओ   

व्यंजन Consonants 

 स्वर की सहायता से बोले जाने वाले वर्ण व्यंजन कहलाते हैं प्रत्येक व्यंजन के उच्चारण में अ स्वर मिला होता है अ के बिना व्यंजन का उच्चारण संभव नहीं परंपरागत रूप से व्यंजनों की संख्या 33 मानी जाती है द्विगुण व्यंजन ड़ ढ़ को जोर देने पर इनकी संख्या 35 हो जाती है।